मुख्यमंत्री के सात निश्चय कार्यक्रम के तहत सरकार द्वारा घर-घर नल का जल पहुंचाने की योजना प्रारम्भ की गई। मुख्यमंत्री का उद्देश्य था कि गांव के लोग भी शुद्ध नल का जल पी सकें और पानी से होने वाले रोग को काफी हद तक कम किया जा सकें, लेकिन अधिकारी एवं ठेकेदारों की मनमानी की वजह से नल-जल की योजना भ्रष्ट्राचार की भेंट चढ़ गयी है। जगह-जगह से इसकी शिकायत जिला प्रशासन को मिलनी शुरू हो गयी लेकिन जाँच के नाम महज खानापूर्ति कर काम चलाया जा रहा है।

एक-एक जांच अधिकारी को एक-एक दिन में दो-दो तीन-तीन पंचायतों की योजनाओं की जांच का तुगलकी फरमान जारी कर दिया जाता है। साथ ही यह भी निर्देश दिया जाता है कि एक ही दिन में जांच का रिपोर्ट जिला प्रशासन को उपलब्ध करा दिया जाय। जिसका आलम यह है कि अधिकारी मात्र पंचायतों में दौड़ लगाते रह जाते है और न तो लोगों की शिकायत सुन पाते न ही पाइप, नल एवं टंकी की गुणवत्ता की जांच हो पाती है। जाँच के दौरान ग्रामीणों ने बताया कि ठीकेदार मार्केट से घटिया पाइप लाकर ऊपर ऊपर ही बिछा दिया है जबकि उसे तीन फ़ीट गड्ढा खोदकर पाइप को बिछाना था लेकिन ठीकेदार मात्र एक डेढ़ फ़ीट गड्ढा खोदकर ही पाइप बिछा दिया। कई जगह पाइप बाहर की छोड़ दिया है जिस वजह से पाइप कभी भी टूट सकता है।

साथ ही पाइप बिछाने के लिए जिन पीसीसी गलियों को खोदा गया था उसे पुन:ढ़लाई नहीं किया गया। जिससे गांव की सभी गलियां टूट-फुट गयी है। ग्रामीण लोग कह रहे है टूटी सडकों पर चलने से अक्सर लोगों को ठेस लग जाता है और गिरकर जख्मी हो जाते है। कई जगह वाटर टैंक भी सही तरीके से नहीं लगाया गया तथा कई गांव में या तो मोटर जल गया है या फिर स्ट्राटर की वजह से जल आपूर्ति ठप्प है। जहाँ का पम्प ठीक भी है वहां के वार्ड मेंबर की मनमानी की वजह से पानी की आपूर्ति नहीं की जाती है। कुल मिलाकर यह योजना मात्र दिखावे का वस्तु बनकर रह गया है।

योजना के तहत हो रहे कार्यों की गुणवत्ता जांचने के लिए भी किसी अधिकारी के पास फुर्सत नहीं

लोजपा सुप्रीमो चिराग पासवान ने चुनाव के दरमियान उठाई थी जांच की मांग
विदित हो कि सात निश्चय कार्यक्रम में व्यापक भ्रष्ट्राचार की बात खुद एनडीए के घटक दल के नेता लोजपा सुप्रीमो सांसद चिराग पासवान ने चुनाव के दरमियान खुले मंच से कही थी। चिराग पासवान अभी इस बात पर कायम है और कह रहे है कि सात निश्चय कार्यक्रम से गरीबों को फायदा नहीं पहुंचा और अधिकारी एवं बिचौलियें मालामाल हो गए। सांसद चिराग पासवान की बातों को सरकार चुनौती के रूप में लिया है और इसी के तहत हर जगह जाँच कराई जा रही है। जाँच की विस्तृत रिपोर्ट तो अभी पटल पर नहीं आया है लेकिन कई अधिकारी दबे जुबान से कह रहे है कि योजना को जिस तरह धरातल उतारा जाना चाहिए।

भ्रष्टाचार की आंच वरीय अधिकारियों तक पहुंची
कहा जा रहा है कि जिला में सरकारी योजनाओं में बड़े पैमाने पर कमीशनखोरी की शिकायत मिल रही है। मनरेगा की कई योजनाएं धरातल की जगह कागजों पर चलायी गयी है। मजदूर रोजगार के अभाव में पलायन कर रहे है। बावजूद जिला के आला अधिकारीयों द्वारा ठोस कदम नहीं उठाया जाना कही न कही कमिशनरी खोरी को शह देने के बराबर है। नाम नहीं छापने की शर्त पर एक अभियंता ने बताया कि मनरेगा में 50 से 60 प्रतिशत, नली गली में 25 से 35 प्रतिशत, रोड व भवन निर्माण 10 से 15 प्रतिशत, नगर परिषद में 25 से 30 प्रतिशत, नल जल में 20 से 30 प्रतिशत की राशि कमीशन में बट जाती है। कार्य की गुणवत्ता के बारे बात करना कोरी कल्पना होगी।

गुणवत्ता का नहीं रखा जा रहा है ख्याल
जांच के दौरान ग्रामीणों की शिकायत पर गहनता पूर्वक जाँच करने से यह स्पष्ट हो रही है कि अनिमियतता हुई है। चेवाड़ा के अंदौली, छठियारा, हंसापुर, बरबीघा के समास बुजुर्ग, सामस खुर्द, मालदह, सर्वा, शेखपुरा के मेहूंस कटारी, गब्बे, अरियरी के सनैया, डीहा, लोहान आदि गाँवों में नल जल योजना सहित सात निश्चय के अन्य योजनाओं में अनिमियतता बताई जा रही है। जाँच के बाद क्या रिपोर्ट निकलकर आता है यह तो रिपोर्ट आने के बाद पता चलेगा। फिलहाल सतही तौर अनिमियतता की बात देखने को मिल रही है। इसी तरह नली गली योजना में भी गुणवत्ता के ख्याल रखें बिना जैसे-तैसे नाली बना दिया है।



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There is widespread irregularity in the tap-water scheme, if the tubewells are stalled, then the tank is not installed anywhere


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