शहर के 75306 घरों में रहने वालों से नगर निगम हर साल 13 करोड़ से ज्यादा टैक्स की वसूली कर रहा है। संपत्ति, पानी, व्यापार लाइसेंस, विकास अौर जीवन मृत्यु शुल्क के साथ दंड के नाम लोगों से कर वसूलने के बाद भी सुविधाएं नहीं मिल रहीं।

51 वार्डों में न तो नियमित सफाई हो रही है और न ही नाले की उड़ाही। पानी के लिए भी लोगों को तरसना पड़ रहा है। शहर की प्यास बुझाने के लिए जरूरी 50 एमएलडी की बजाय जैसे-तैसे 20 एमएलडी पानी ही दिया जा रहा है।

लोगों को निजी बाेरिंग और जार वाली बोतलों से अपनी प्यास बुझानी पड़ रही है। सफाई कर देने के बाद भी स्वच्छता का आलम यह है कि रोज 250 टन कचरा तक नहीं उठाया जा रहा। सड़क किनारे और गलियों में कचरा पसरा है।

सभी वार्डों में स्ट्रीट लाइट्स तक नहीं लगाई। इस पर निगम का कहना है कि मौजूदा संसाधनों से जो बेहतर हो सकता है, वह दे रहे हैं। ऐसे में सवाल है कि शहरवासियों का काम टैक्स देने का है। लोग टैक्स जमा कर रहे हैं। संसाधन जुटाना निगम का काम है, इसके लिए निगम क्या कर रहा है? इस फेर में शहर असुविधा क्यों झेले?

पहले 7 तरह के थे टैक्स

मकान कर, शाैचालय कर, जल कर, शिक्षा कर, राेशनी कर, स्वास्थ्य कर, वारंट फीस लिए जाते थे। उक्त टैक्स के मद में ली जाने वाली राशि भी लिखी जाती थी

अब 6 तरह के हैं टैक्स

2012 से संपत्ति कर, जल कर, व्यापार अनुज्ञप्ति फीस, विकास शुल्क, जीवन मृत्यु शुल्क व दंड के नाम पर टैक्स ले रहा है। लेकिन हर मद में ली जाने वाली राशि नहीं लिखी जा रही।

टैक्स के अनुसार सुविधा तो दे ही रहे हैं: उपनगर आयुक्त

टैक्स कलेक्शन का काम देख रहे सिटी मैनेजर रवीशचंद्र वर्मा ने बतया, हाेल्डिंग टैक्स में कोई बदलाव नहीं हुआ है। उपनगर आयुक्त प्रफुल्लचंद्र यादव ने बताया, निगम जाे टैक्स लेता है, उसके बदले राेशनी, पानी, सड़क, कूड़ा उठाव व नाला उड़ाही, जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र समेत अन्य सुविधाएं देता है।

जिन सुविधाओं को देने के दावे कर रहा है निगम, उनकी हालत जानिए

पानी : पानी सप्लाई करने को 59 बोरिंग व बरारी वाटर वर्क्स है। वाटर वर्क्स से 10 व बोरिंग से 12 एमएलडी पानी दे रहा है। निगम ने 15000 कर दाताओं काे ही नल कनेक्शन दिया। कई इलाकों में सप्लाई नहीं है। निगम ने बेहतर सप्लाई को 4 साल पहले पैन इंडिया व बुडको पर जिम्मा थोप पल्ला झाड़ लिया।

रोशनी : शहर में करीब 12 हजार बिजली के खंभों पर निगम ने रोशनी की व्यवस्था की है। हर वार्ड में 200 खंभों पर बल्ब हैं। इसके अलावा स्ट्रीट व वेपर लाइट भी लगे हैं। तिलकामांझी चाैक पर बने पार्क में दाे दर्जन लाइट लगे हैं। दिनभर यहां बल्ब जलते हैं। इसे ऑन ऑफ करने की सुविधा नहीं है।

नालें : शहर में 42 बड़े और 7 हजार से ज्यादा छाेटे नाले हैं। सभी कचरे और गाद से भरे हैं। हल्की बारिश में ही उफन कर गंदा पानी सड़क पर जमा हो रहा है। हर साल बिना योजना ही नालों पर करोड़ों फूंके जा रहे हैं। इसकी डिजाइन ऐसी है कि पानी निकलने की बजाय जमा हो रहा है।

सफाई : 1300 सफाईकर्मियों पर हर माह डेढ़ करोड़ खर्च हो रहे हैं। इसकी निगरानी को 100 से ज्यादा अफसर-कर्मी हैं। फिर भी हर वार्ड में सफाई नहीं हो रही। कहीं टूटे डस्टबिन में कचरा जमा हो रहा है। कहीं झाड़ू व ट्राॅली दुरुस्त नहीं है। चूना, ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव व फाॅगिंग तक नहीं हो रही।

75306 हाउस होल्ड शहर हैं में
6 तरह के टैक्स ले रहा निगम
13 करोड़ से ज्यादा कर हो रहा जमा
4 सुविधाएं नहीं दे रहा

निगम संपत्ति कर लेता है। इसी आधार पर लोगों काे बुनियादी सुविधाएं दे रहा है। इसमें हर साल सुधार हो रहा है। मौजूदा संसाधनों से संतोषप्रद सुविधा दी जा रही है। अभी और सुधार की जरूरत है। वह भी हम लोग कर रहे हैं।
- सत्येंद्र प्रसाद वर्मा, पीआरओ, निगम

हम लोग नियम बनाते हैं। लेकिन इसे अमल में लाने का जिम्मा नगर आयुक्त का है। हम लोग अफसरों को सुविधाओं के लिए कहते हैं। लेकिन काम संतोषजनक नहीं है। हमारे पास जाे अधिकार है, उसके अनुसार हम काम कर रहे हैं।
- सीमा साहा, मेयर



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वार्ड 51 के वारसलीगंज में नाले के टूटे ढक्कन से आ रही बदबू, टूटी सड़क पर चलने को विवश हैं लोग।


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