अगले वित्तीय वर्ष में राज्य के लोगों पर कर का बोझ बढ़ने की संभावना है। निबंधन शुल्क और स्टाम्प ड्यूटी को बढ़ाया जा सकता है। सरकार ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। वित्तीय वर्ष 2021-22 के बजट की तैयारी में जुटे वित्त विभाग ने सभी विभागों को राजस्व के स्रोतों में वृद्धि करने का निर्देश दिया है।

निर्देश में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि कर में बढ़ोतरी के लिए यदि अधिनियम में संशोधन करने की जरूरत पड़े तो विभाग इसकी भी तैयारी करें। संशोधन के लिए 15 जनवरी से पहले वित्त विभाग को प्रस्ताव भेजना होगा। यानी वित्त विभाग बजट सत्र में विधेयक लाएगा। कर या गैर कर राजस्व संग्रह करने वाले विभागों को यदि कर में बढ़ोतरी जायज नहीं लगती है तो उन्हें इसका स्पष्ट कारण भी बताना होगा।

राज्य में राजस्व संग्रह की जिम्मेदारी मुख्य रूप से वाणिज्य कर, निबंधन, परिवहन, भू-राजस्व, खनन और सिंचाई विभाग की होती है। सत्र में वित्त विधेयक लाने के पीछे वित्त विभाग का तर्क है कि नया कर एक अप्रैल से लागू होगा और पूरे साल इसकी वसूली हो सकेगी।

एक्सपर्ट की राय: इन विभागों में हो सकती है कर वृद्धि

राज्य के कुल राजस्व में सर्वाधिक योगदान वाणिज्य कर विभाग का है। करीब 80% कर संग्रह वाणिज्य कर विभाग द्वारा ही किया जाता है। लेकिन जीएसटी लागू होने के बाद सरकार पेट्रो उत्पाद को छोड़कर अन्य दूसरे गुड्स पर टैक्स नहीं बढ़ा सकती है।

सरकार पेट्रोलियम पदार्थों में कुछ कर बढ़ोतरी कर सकती है, इसमें गुंजाइश भी है। वही दूसरे नंबर पर निबंधन और स्टाम्प की बिक्री से सरकार को राजस्व की प्राप्ति होती है। नए वित्तीय वर्ष में निबंधन शुल्क और स्टाम्प ड्यूटी में बढ़ोतरी हो सकती है। तीसरे नंबर पर परिवहन विभाग का राजस्व है।

कृषि कार्य में उपयोग आने वाली और छोटी गाड़ियों के निबंधन शुल्क को यथावत छोड़कर बड़ी गाड़ियों (लक्जरी) के निबंधन शुल्क में बढ़ोतरी हो सकती है। खनन विभाग भी ईट-भट्‌ठा, पत्थर और बालू खनन पर कर बढ़ा सकता है। भू-राजस्व और सिंचाई लगान में थोड़ी बढ़ोतरी हो सकती है। वीएस दुबे, पूर्व मुख्य सचिव, बिहार

राज्य में अभी क्या हैं कर की मौजूदा दरें

  • पेट्राल पर कर: (वैट) 26% और सरचार्ज 30%
  • डीजल पर कर: (वैट) 19% और सरचार्ज 30%
  • निबंधन शुल्क की दर अभी है 2%
  • ग्रामीण क्षेत्र में स्टाम्प ड्यूटी 6%
  • शहरी क्षेत्र में स्टाम्प ड्यूटी 8%


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प्रतीकात्मक फोटो।


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