कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर उषाकाल में नदी किनारों के घाटों में भारी भीड उमड़ी और श्रद्धालुओं ने बड़ी संख्या में कार्तिक मास का पवित्र स्नान करने के बाद दीप दान किया और भगवान शंकर तथा देवी मंदिरों में मत्था टेककर अपने-अपने सामर्थ अनुसार दान पुण्य किया।कार्तिक मास को दान पुण्य के लिये पवित्र मास माना जाता है और प्राचीन समय से कार्तिक पूर्णिमा के दिन दान करने से पुण्य लाभ प्राप्त होता है। इसी मान्यता के कारण हिन्दु लोगों में कार्तिक पूर्णिमा के दिन अलसुबह से ही लोग बड़ी संख्या में नदी में स्नान करने के लिये पहुंचते है और मंदिरों में पूजा अर्चना कर दान पूण्य भी करते है। रतोइया नदी सहित विभिन्न नदियों के किनारे के घाटों में हजारों की संख्या में लोगों ने कार्तिक पूर्णिमा का पवित्र स्नान किया और नदी में दीप दान प्रवाहित करने के बाद मंदिरों में पूजा-अर्चना पश्चात चावल, मिष्ठान, कपड़े इत्यादि का दान किया। इस दौरान श्रद्धालु कोविड-19 के नियमों का पालन कर नदी में स्न्नान किया। वहीं, किसी भी घाट पर जिला प्रशासन द्वारा मजिस्ट्रेट या फिर पुलिस बलों की तैनाती मुनासिब नहीं समझा।

कार्तिक पूर्णिमा में दान का है महत्व : इस दिन पूरे दिन व्रत रखकर रात्रि में वृषदान यानी बछड़ा दान करने से शिवपद की प्राप्ति होती है। ऐसा माना जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान, दीप दान, हवन, यज्ञ करने से सांसारिक पाप और ताप का शमन होता है। अन्न, धन एवं वस्त्र दान का बहुत महत्व बताया गया है इस दिन जो भी आप दान करते हैं उसका आपको कई गुणा लाभ मिलता है। मान्यता यह भी है कि आप जो कुछ आज दान करते हैं वह आपके लिए स्वर्ग में सुरक्षित रहता है जो मृत्यु लोक त्यागने के बाद स्वर्ग में आपको प्राप्त होता है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी व सरोवर एवं गंगा, यमुना, गोदावरी, नर्मदा, गंडक, कुरूक्षेत्र, अयोध्या, काशी में स्नान करने से पुण्य मिलता है।



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Devotees thronged the ghats on Kartik Purnima


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